हरिद्वार। कोरोनावायरस की दूसरी लहर के खतरनाक होने और लगातार इससे संक्रमित रोगियों की संख्या में सुरसा के मुंह की तरह बढ़ोतरी होने तथा भयावहता को देखते हुए देवनगरी हरिद्वार में चल रहा महाकुंभ का निरंजनी अखाड़े ने कल से समापन की घोषणा कर दी है अब तक महाकुंभ में 17 सौ से अधिक कोरोना पॉजिटिव रोगियों के आने तथा 30 संतो के बी पॉजिटिव होकर महामंडलेश्वर कपिल देव के निधन के बाद निरंजनी अखाड़े द्वारा यह निर्णय लिया गया ।
उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ मेला को लेकर निरंजनी अखाड़ा के सचिव रविंद्र पुरी ने कुंभ मेले के समापन की घोषणा कर दी है । उन्होंने कहा कि मुख्य शाही स्नान संपन्न हो गया है, उसके बाद अखाड़ों में बड़ी संख्या में संत और भक्तों में कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हमारे अखाड़े ने 17 अप्रैल को कुंभ समाप्त करने का निर्णय लिया है।
रविंद्र पुरी ने कहा, “यह अखाड़ा परिषद का फैसला नहीं है । यह हमारे अखाड़े का निजी फैसला है ।।हालांकि अधिकतर अखाड़ों की यही राय है । हमने अपने अखाड़े में कुंभ समापन की घोषणा कर दी है । हालांकि 27 अप्रैल के शाही स्नान को 40 से 50 पंथी स्नान करेंगे और स्नान करके वापस चले जाएंगे, जो कि सांकेतिक तौर पर होगा । हरिद्वार की स्थिति अच्छी नहीं है. महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि बाकी अखाड़ों को भी ऐसे वक्त में कोविड से बचाव को देखते हुए सकारात्मक निर्णय लेने की जरूरत है. कोविड से बचाव पहली प्राथमिकता है.”
दरअसल, हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र में 10 से 14 अप्रैल के बीच 1700 से अधिक लोग कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए हैं । स्वास्थ्यकर्मियों ने मेला क्षेत्र में इन पांच दिनों में 2,36,751 कोविड जांच कीं, जिनमें से 1701 लोगों की रिपोर्ट में उनके महामारी से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई।
दो दिन मे 48.51 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा मे डूबकी
हरिद्वार, टिहरी और ऋषिकेश सहित देहरादून जिले के विभिन्न भागों में 670 हेक्टेयर क्षेत्रफल में महाकुंभ क्षेत्र फैला हुआ है. सोमवार को सोमवती अमावस्या और बुधवार को मेष संक्रांति व बैसाखी के पर्व पर हुए दोनों शाही स्नानों में गंगा में डुबकी लगाने वाले 48.51 लाख श्रद्धालुओं में से ज्यादातर लोग बिना मास्क पहने और सामाजिक दूरी रखने जैसे कोविड से बचाव के नियमों का उल्लंघन करते नजर आए ।