शिलांग (मेघालय), 26 अक्टूबर (हि.स.)। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में दुर्गा पूजा प्रति वर्ष धूमधाम के साथ मनायी जाती है। इसी कड़ी में मेघालय में भी दुर्गोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि ईस्ट खासी हिल्स जिला के चेरापूंजी से करीब 30 किमी दूर बांग्लादेश सीमा से सटे शेला गांव (स्थानीय भाषा) में दुर्गा पूजा हर्ष और उल्लास के साथ मिलजुल कर मनाया जाता है। इस गांव में दुर्गा पूजा का आयोजन वर्ष 1930 से सहो रहा है। प्राचीन दुर्गा पूजा यहां के स्थानीय लोग मिलकर खुशी और आनंद के साथ मनाते हैं।
दुर्गा पूजा के सभी कार्य खासी समुदाय के लोग करते हैं। अविवाहित पुरुष और महिलाएं पूजा का कार्य करती हैं। वरिष्ठ महिलाएं खाना बनाती हैं और गांव के बुजुर्ग लोग गांव के लोगों को खाना पोरोसते हैं। पूरे गांव में दुर्गा पूजा मिलजुल कर मनाने की परंपरा है। एक साथ भोजन ग्रहण करते हैं और आनंद मनाते हैं। करीब एक सौ साल पहले से ही इस गांव के खासी समुदाय के लोग मां दुर्गा की आराधना करते आ रहे है।
चेरापूंजी अर्थात शेला (स्थानीय भाषा) के रामकृष्ण मिशन की एक उपशाखा इस गांव में स्थित है। मिशन के संत मां दुर्गा का पूजन, हवन, आरती करते हैं। लोग भक्ति, आस्था, श्रद्धा के साथ मां की पूजा व आराधना करते हैं। मेघालय में खासी और बंगाली समुदाय के लोग एक साथ मिलजुल करते हैं।