कई दुर्लभ संयोगों में मनेगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

Sameer Ur Rehman
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भोपाल। देशभर में सोमवार (30 अगस्त) को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी। इस बार जन्माष्टमी बहुत ही खास है। इस दिन कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर जयंती योग रहेगा। यह अद्भुत संयोग 101 साल बाद बन रहा है।

वहीं 75 साल बाद जन्माष्टमी पर सर्वपापहारी योग भी बन रहा है। इसके अलावा इस बार की जन्माष्टमी इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय की ग्रह स्थित द्वापर जैसी बनेगी।

वैदिक विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युंजय तिवारी ने रविवार को हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी के अवसर पर 6 तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है।

ये 6 तत्व हैं- भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना। इस बार वर्षों बाद वैष्णव एवं गृहस्थ एक ही दिन जन्मोत्सव मनाएंगे।

डॉ. तिवारी ने बताया कि श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, सोमवार रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। इसलिए प्रत्येक वर्ष भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि को श्रद्धालु जन्माष्टमी मनाते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी कई विशेष और दुर्लभ संयोगों में मनाई जाएगी। इस दिन सोमवार है। अष्टमी तिथि 29 अगस्त की रात 10.10 बजे प्रवेश कर जाएगी, जो सोमवार रात्रि 12.24 तक रहेगी।

रात्रिकाल में 12.24 तक अष्टमी है। इस समय चंद्रमा वृष राशि में रहेंगे। इन सभी संयोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र भी 30 अगस्त को रहेगा। रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश 30 अगस्त को प्रात: 6:49 में हो जाएगा। अर्धरात्रि को अष्टमी तिथि एवं रोहिणी नक्षत्र का संयोग एक साथ मिल जाने से जयंती योग का निर्माण होता है। इसी योग में इस बार जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी पर 101 साल के बाद जयंती योग का संयोग बना है। इस दिन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र एवं सोमवार तीनों का एक साथ मिलना दुर्लभ है। इसके साथ ही इस बार का व्रत तीन जन्मों के पाप से मुक्त करने वाला होगा, क्योंकि 75 साल बाद ऐसा दुर्लभ सर्वपापहारी योग बन रहा है, इसके बाद वर्ष 2040 में यह संयोग बनेगा। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से तीन जन्मों के जाने-अनजाने में हुए पापों से मनुष्य को मुक्ति मिलती है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युंजय तिवारी के अनुसार मंदिरों में 30 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति वैसी ही बन रही है, जैसी कि हजारों वर्ष पूर्व द्वापर में भगवान कृष्ण के जन्म के समय बनी थी। भगवान कृष्ण के जन्म के समय सूर्य, चंद्रमा, मंगल, शनि, राहु एवं केतु कुंडली के केंद्रीय भाव में रहेंगे।

वहीं बुध, गुरु एवं शुक्र मिलकर त्रिकोण योग बनाएंगे। यह योग आमजन के लिए श्रेष्ठकारक एवं समृद्धिकारक रहेगा। साथ ही रुके हुए कार्यों में निरन्तरता आएगी। सरकार, जनता के हित में अधिक कार्य करेगी। ये ग्रह शिक्षा जगत में आमूलचूल परिवर्तन कर शिक्षकों और विद्यार्थियों का उत्थान करेंगे। विद्वानों, संतों का सम्मान भी बढ़ाएंगे। धर्म के प्रति आम जनता की रुचि बढ़ेगी और धार्मिक कार्य खूब होंगे। रोजगार के अवसर भी बढने की संभावना है।

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Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/