एयरपोर्ट से 4 हजार  करोड़ के रेडियोएक्टिव मेटल कैलिफोर्नियम सहित दो गिरफ्तार

Dr. CHETAN THATHERA
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कोलकाता/ कोलकाता एयरपोर्ट से CID ने रेडियोएक्टिव मेटल कैलिफोर्नियम जब्त किया है दो लोंगो को हिरासत में भी लिया गया है । ढाई सौ ग्राम के इस रेडियोएक्टिव मेटल की कीमत 4 हजार 250 करोड़ रुपये है ।।

 

सीआईडी ने एयरपोर्ट टर जांच के दौरान दो युवको के पास से डियोएक्टिव मेटल कैलिफोर्नियम जब्त किया है । जिन दो आरोपियों को पकड़ा गया है उनके नाम हैं सैलान करमाकर और असित घोष। ये दोनों हुगली जिले के रहने वाले हैं, जो मेटल जब्त किया गया है उसकी एक ग्राम की कीमत 17 करोड़ होती है। रेडियोऐक्टिव है यह एलिमेंट, 1950 में पहली बार सिंथेसाइज हुआ।

कैलिफोर्नियम की प्रकृति

कैलिफोर्नियम प्रकृति में नहीं मिलता। 1950 में अमेरिका की एक लैब में इसे सिंथेसाइज किया गया था। यह उन ट्रांसयूरेनियम एमिलमेंट्स में से एक है जिन्‍हें इतनी मात्रा में बनाया गया है कि उन्‍हें खुली आंखों से देखा जा सके। यह चांदी के रंग जैसी धातु होती है जो करीब 900 डिग्री सेल्सियस पर पिघलती है।

अपने प्‍योर रूप में यह धातु इतनी मुलायम होती है कि उसे आसानी से ब्‍लेड से काटा जा सकता है। रूम टेम्‍प्रेचर पर यह कठोर अवस्‍था में रहती है। कैलिफोर्नियम के सारे आइसोटेाप्‍स भी रेडियोऐक्टिव होते हैं। सबसे स्थिर आइसोटोप Cf-251 की अर्द्ध-आयु करीब 800 साल होती है।

कहां-कहां होता है कैलिफोर्नियम का इस्‍तेमाल

कैलिफोर्नियम का एक और आइसोटोप Cf-252 बेहद ताकतवर न्‍यूट्रॉन सोर्स है। जेफरसन लैब के अनुसार, इसके एक माइक्रोग्राम से प्रति मिनट 170 मिलियन न्‍यूट्रॉन्‍स पैदा किए जा सकते हैं।

इस आइसोटोप का इस्‍तेमाल एक न्‍यूट्रॉन एमिटर की तरह हो सकता है जिसके जरिए न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर्स को स्‍टार्ट करने के लिए जरूरी न्‍यूट्रॉन्‍स मुहैया कराए जा सकते हैं।

एक न्‍यूट्रॉन सोर्स के रूप में यह ‘न्‍यूट्रॉन ऐक्टिवेशन’ नाम की तकनीक के जरिए सोने और चांदी की खदानें खोजने के भी काम आता है।

तेल के कुआं में पानी और तेल वाली परतों का पता भी इसकी मदद से लग सकता है।

कैलिफोर्नियम को फ्यूल रॉड स्‍कैनर्स में इस्‍तेमाल कर सकते हैं।

इसके जरिए एयरक्राफ्ट की न्‍यूट्रॉन रेडियोग्रफी की जा सकती है ताकि किसी खराब या फंसी हुई नमी का पता लगाया जा सके।

इंसान को खतरा कितना, कैसे?

कैलिफोर्नियम इंसानी शरीर में जहरीले भोजन या ड्रिंक के जरिए प्रवेश कर सकता है। इसके अलावा रेडियोऐक्टिव हवा में सांस लेने पर इसके कुछ कण भीतर जा सकते हैं। एक बार शरीर में इसके पहुंचने के बाद खून में यह केवल 0.05% ही मिलता है। करीब 65% कैलिफोर्नियम कंकाल में जमा हो जाता है, 25% लिवर में और बाकी अन्‍य अंगों में या फिर बाहर भी निकल सकता है।

कंकाल में जमा कैलिफोर्नियम 50 साल और लिवर का कैलिफोर्नियम 20 साल में जाता है। कैलिफोर्नियम का रेडिऐशन टिश्‍यूज को बेहद नुकसान पहुंचाता है। लगातार रेडिएशन के संपर्क में रहने पर कैंसर हो सकता है।

न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर को स्‍टार्ट करने में काम आता है कैलिफोर्नियम। कैलिफोर्नियम का इस्‍तेमाल पोर्टेबल मेटल डिटेक्‍टर्स में किया जाता है। इसके अलावा सोने और चांदी की खदानों की पहचान में भी कैलिफोर्नियम इस्‍तेमाल होता है। न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर को स्‍टार्ट करने में भी कैलिफोर्नियम मदद करता है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम