एक ऐसा इंसान जिसकी आवाज सुनते ही दौड़ पड़ते हैं बेजुबान

Dr. CHETAN THATHERA
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गोंडा। बचपन से ही बेजुबान से प्यार समाज के प्रति कुछ करने की ललक पर्यावरण संरक्षण में अपनी महती भूमिका निभाने वाला एक ऐसा इंसान जिनकी आवाज बेजुबान भी पहचानते हैं। जिनके आवाज में ऐसा जादू कि मिनटों में सैकड़ों बेजुबान पशु पक्षी इकट्ठा हो जाते हैं।
   मूलतः गोंडा बहराइच बॉर्डर के गांव रनियापुर निवासी राजकुमार दुबे उर्फ गोली दुबे का बचपन से ही पशु पक्षियों के प्रति अगाध प्रेम था। दुबे बताते हैं की पढ़ाई के दौरान ही जहां वह रहते थे। वहां पर भी सुबह शाम यदि पशु पक्षियों को उन्होंने कुछ खिलाया नहीं तो उन्हें पूरे दिन इसकी खटक रहती थी। सुबह उठकर नित्य कर्म के साथ-साथ पूजा पाठ करना हमेशा उनकी दिनचर्या में शामिल रहा। जब वह अपने मूल गांव पर रहने लगे तो गांव से थोड़ी दूर पर रघुबाबा का स्थान था जहां पर सदियों से सप्ताह के प्रत्येक शनिवार को दूरदराज से भक्तगण पूजा अर्चन करने आते थे।
 मान्यता है कि बाबा के स्थान पर भक्तों की मांगी मुरादे आज भी पूरी होती है। उनका कहना है कि घर पर रहने के बाद सुबह उठकर प्रतिदिन पहुंचकर मंदिर व उसके परिसर की सफाई करना उनकी दैनिक दिनचर्या में शामिल हो गया है। बहुत दिनों से मंदिर के आसपास तमाम पशु पक्षियों का झाड़ियों में डेरा डाले रहते हैं। जब भी वह घर से स्थान पर जाते साथ में खाने पीने के लिए फल फूल अनाज कुछ न कुछ लेकर जाते हैं। अब तो इनके पहुंचते ही मंदिर परिसर में रहने वाले हिरण बिल्ली कुत्ते गाय इनके पास पहुंच जाते हैं। कुछ जानवरों ने तो इतनी निकटता बना ली है कि वह बिना कोई परवाह किए हुए इनकी गोदी में बैठ जाते हैं।
लोगों की मजबूरी देख न सके तो कोरोना काल में बांट दिया 50 हजार 
राजकुमार दुबे बताते हैं कि वह कुछ काम से रुपईडीह विकासखंड की ग्राम पंचायत कोचवा के मजरा गडरियन पुरवा गए थे। लोगों का हालचाल लेने के दौरान एक बाप बेटे की बहुत ही मार्मिक बात बिना बताए इनके कानों में सुनाई पड़ी। बताते हैं कि एक पिता अपने बेटे से पूछ रहा था की दाढ़ी बहुत बड़ी हो गई है। तुम से ब्लेड लाने के लिए कहा था। क्यों नहीं लाए।
बच्चे ने जवाब दिया कि ब्लेड दो रुपए की मिलती है मेरे पास एक ही रुपए बचे थे कैसे लाऊं। कहते हैं कि बच्चे की बात सुनकर मन पर बहुत पीड़ा पहुंची। मन में आया कि अब इनके लिए कुछ किया जाए। गांव वालों ने बताया कि सरकार द्वारा हम लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे में खाने पीने की कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन खाद्यान्न के अतिरिक्त वर्तमान समय में दिहाड़ी न लगने से घर में साग सब्जी दाल चीनी नमक जैसे जरूरी सामान कुछ भी नहीं है। उस समय खाते में महज 50 हजार थे। पूरा पैसा निकालकर गांव भर के लिए 1 माह के दैनिक दिनचर्या के सामान उपलब्ध कराएं।
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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम