देश के 20 राज्यों में PFI का नेटवर्क साम्प्रदायिक हिंसाओं मे PFI की बड़ी भूमिका, कैसे और कब अस्तित्व में आया PFI

Dr. CHETAN THATHERA
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नई दिल्ली/ देश भर में वर्तमान में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं सहित पूर्व में भी हुई सांप्रदायिक हिंसा घटनाओं में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI)की भूमिका जांच में सामने आई है । पीएफआई का नेटवर्क देश के 20 से अधिक राज्यों में फैला हुआ है और हजारों की संख्या में इस संगठन के कार्यकर्ता फैले हुए हैं जो देश में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने देशद्रोही गतिविधियों को अंजाम देने के साथ ही भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के उद्देश्य NIA सहित अन्य जांच एजेंसियों की जांच में खुलासा हुआ है।

कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी में पीएफआई (PFI) को एक चरमपंथी संगठन बताया था । हिंदूवादी संगठन पीएफआई को प्रतिबंधित करने की मांग करते आ रहे हैं और मीडिया मैं केंद्र सरकार से इस संगठन को प्रतिबंधित करने पर विचार करने की खबरें आती रही है ।

देश के उत्तर प्रदेश में मध्य प्रदेश में कर्नाटक में केरल में कानपुर में, गुजरात मे , राजस्थान में हुई सांप्रदायिक हिंसक घटनाओं में तथा उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल साहू कि तालिबान ढंग से गला रेत कर हत्या और कर्नाटक के शिवमोगा में बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या सहित इन सभी घटनाओं में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का नाम जांच एजेंसी के जांच में सामने आया है।

पटना में पुलिस ने देश के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में चार संदिग्धों को गिरफ्तार किया था जिनमें अतहर परवेज मोहम्मद जलालुद्दीन अरमान मलिक और एडवोकेट नूरुद्दीन जंगी है । पुलिस के मुताबिक यह चारों ही पीएफआई(PFI) से जुड़े हैं इन चारों से एन आई ए (NIA) सहित अन्य जांच एजेंसियों और पुलिस द्वारा की गई जांच पड़ताल में सामने आया कि पीएफआई शिक्षित बेरोजगार मुस्लिम युवाओं को भ्रमित कर अपने साथ जोड़ती है और इन को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने सहित भारत के खिलाफ दंगा भड़काने जैसे गुरु बताती हैं ।

पीएफआई(PFI) के तार विदेशों से जुड़े होने और बाहर से फंडिंग होने की भी जांच की जा रही है क्योंकि पुलिस को पीएफआई(PFI) के अकाउंट से पटना में ₹9000000 मिले थे ।

कब और कैसे अस्तित्व मे आया PFI

1994 मे मुसलमानों ने नेशनल डेवलपमेंट फंड एनडीएफ (NDF) की स्थापना की थी स्थापना के बाद से ही एनडीएफ ने केरल में अपनी जड़ें मजबूत की और इसकी लोकप्रियता बढ़ती गई और इस संगठन की सांप्रदायिक गतिविधियों में संलिप्तता भी सामने आती गई ।

साल 2003 में कोझिकांड के मराड बीच पर 8 हिंदुओं की हत्या में एनडीएफ(NDF) के कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए इस घटना के बाद भाजपा ने एनडीएफ(NDF) के आईएसआई से संबंध होने के आरोप लगाए थे । केरल के अलावा दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु और कर्नाटक में भी मुसलमानों के लिए काम कर रहे संगठन सक्रिय थे । कर्नाटक में कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी यानी केएफडी (KFD) और तमिलनाडु में मनिथा नीति पसराई (MNP) कर रहे थे । इन संगठनों का भी हिंसक गतिविधियों में नाम आता रहा था। नवंबर 2006 में दिल्ली में हुई एक बैठक के बाद एनडीएफ और रह सभी संगठन एक होकर पीएफआई(PFI) बन गए ।

इस तरह साल 2007 में पीएफआई(PFI) अस्तित्व में आया और आज देश के 20 राज्यों में से अधिक में पीएफआई(PFI) संगठन काम कर रहा है ।

देश में पीएफआई अब एक संगठित नेटवर्क है जिसकी देश के 20 से अधिक राज्यों में मौजूदगी है। PFI की एक राष्ट्रीय समिति होती है और राज्यों की अलग समितियों होती है ग्राउंड लेवल अर्थात जमीनी स्तर तक इसके कार्यकर्ता होते हैं समिति के सदस्य हर 3 साल में होने वाले चुनाव से चुने जाते हैं।

कैसे बढा PFI का दायरा

सन 2009 में पीएफआई (PFI) ने अपने राजनीतिक दल एसडीपीआई(SDPI) ( सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) और छात्र संगठन (CFI) केंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का गठन किया था। जैसे-जैसे पीएफआई का प्रभाव बढ़ता गया कई राज्यों के अन्य संगठन भी पीएफआई के साथ जुड़ते चले गए गोवा का सिटीजन फोरम पश्चिम बंगाल का नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति आंध्र प्रदेश का ऐसोसिएशन ऑफ सोशल जस्टिस और राजस्थान का कम्युनिटी सोशल एंड एजुकेशन सोसायटी यह सभी संगठन अब पीएफआई (PFI)का हिस्सा हो गए हैं ।

राजस्थान मे भी जांच ऐजेंसियों की राडार पर PFI

राजस्थान में भी करौली उदयपुर भीलवाड़ा सहित अन्य जिलों में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में एनआईए(NIA) सहित अन्य जांच एजेंसियों और पुलिस को भी इन घटनाओं में पीएफआई की संलिप्तता मिली है और इसके बाद से सारी जांच एजेंसियां सर्तक हो चुकी है और राजस्थान में पीएफआई(PFI) इन जांच एजेंसियों के रडार पर है। भीलवाड़ा में भी इस संगठन के 100 से अधिक सदस्य और पदाधिकारी बताए जाते हैं।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम