महंगाई के खिलाफ कांग्रेस की रैली होने वाली है। कांग्रेस को अब पता चला कि महंगाई बढ़ गई है और जनता परेशान है। संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। पहले ही दिन राज्यसभा में विपक्ष के 12 सदस्यों को निलंबित करते हुए सरकार ने अपने विधेयकों के पारित होने का इंतजाम कर लिया है। कांग्रेस खुद को मुख्य विपक्ष मानती है। वह अपना मुख्य विपक्ष का दर्जा कायम रखने के लिए महंगाई के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन कर रही है। पहले यह प्रदर्शन दिल्ली में होने वाला था। अब जयपुर में होगा।
यह महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन है या कांग्रेस का अपना शक्ति प्रदर्शन। राजस्थान, पंजाब और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं। इन सरकारों के दम पर ही देशव्यापी प्रदर्शन हो सकता है। तीनों राज्यों की सरकारों की जिम्मेदारी है कि इस विरोध प्रदर्शन को सफल बनाएं। दिल्ली में विरोध प्रदर्शन सफल होने की संभावना कम थी। इसलिए जगह बदल दी गई है। अब जयपुर में विरोध प्रदर्शन होगा। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार होने से प्रचार भी अच्छा होगा और भीड़ भी बहुत जुटेगी।
जब तक किसान आंदोलन चल रहा था, तब तक कांग्रेस भी उसके सहारे उत्तर प्रदेश में आगे बढ़ रही थी। अब तीनों कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं तो वह सहारा भी गया। इसलिए मौजूदगी दिखानी जरूरी है। पार्टी की मौजूदगी सड़क पर भीड़ दिखने से साबित होती है। भीड़ तब होती है, जब जन साधारण में स्वप्रेरित उत्साह हो, या किसी कारण से उन्हें लाया गया हो। कई लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें फोकट में यात्रा करने का मौका मिलता है तो रैली में चले जाते हैं, भले ही वह किसी भी पार्टी की हो।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है तो बसें भी लग जाएंगी। पचास हजार से एक लाख के बीच लोग जुट ही जाएंगे। इतनी संख्या रैली को सफल दिखाने के लिए पर्याप्त होती है। बाकी कसर मीडिया पूरी कर देगा। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के जयपुर आने से अलग माहौल बनेगा। कुल मिलाकर अखबारों में ठीकठाक हैडलाइन बन जाएगी- महंगाई के खिलाफ कांग्रेस का शंखनाद। सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
क्या इससे मोदी सरकार हिल जाएगी? कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो जाएगी? ऐसा बहुत से लोग सोच रहे हैं। अच्छी बात है, लेकिन हकीकत यह है कि विपक्ष का दर्जा कांग्रेस के कब्जे से खिसक रहा है। आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस मुख्य विपक्ष की भूमिका में उभर रही है। भाजपा ने उसे सरकार से बेदखल किया। अब दूसरी पार्टियां उसे मुख्य विपक्ष के दर्जे से भी बेदखल करने पर उतारू हैं, ऐसे में कांग्रेस के पास क्या है? ले देकर अपनी सरकार की मदद से सड़क पर भीड़। क्या जन आंदोलन इसी तरह किए जाते हैं?