लखनऊ। रासायनिक खाद के प्रचार ने किसानों को इतना प्रभावित कर दिया कि बीच में लोग आर्गेनिक खादों का प्रयोग करना ही भूल गये। मिर्च पर कुष्ट रोग लगा नहीं कि रासायनिक दवा का प्रयोग होने लगता है।
यही हाल हर फसल का है, लेकिन यह खाद धीरे-धीरे भूमि की उर्वरा शक्ति खत्म करती चली गयी।
अब कुछ किसानों में जागरूकता आयी है और वे आर्गेनिक खेती पर जोर दे रहे हैं। प्रगतिशील किसानों का कहना है कि आर्गेनिक और रासायनिक दोनों का प्रयोग किया जाय तो इससे पैदावार के साथ ही खेत की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी।
पूर्वांचल में पहली बार कश्मीरी केसर उगाने वाले गाजीपुर जिले के करीमुद्दीनपुर गांव के पंकज राय का कहना है कि खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के साथ ही सूखी घास अथवा लकड़ी को मिट्टी बना देने की क्षमता बेस्ड डी कम्पोस्ट में है। इसमें लागत भी न के बराबर है।
इसके लिए दो सौ लीटर पानी में ढाई किलो गुड़ डालकर बेस्ड डी कम्पोस्ट तीन सौ ग्राम के लगभग डाल दीजिए। एक सप्ताह बाद पूरा बेस्ड डी कम्पोस्ट बन जाएगा।
फिर अगला बनाने के लिए उसमें वही दो सौ लीटर पानी में ढाई किलो गुड़ डालकर आपके पास जो बेस्ड डी कम्पोस्ट तैयार है, उसमें से तीन सौ ग्राम निकालकर गुड़ के घोल में डाल दें। यह एक सप्ताह में तैयार हो जाता है। इसको खेत में छिड़काव करा दें। या पानी चलाते समय पानी में मिला दें।
गोंडा के प्रगतिशील किसान अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि सब्जियों की पत्तियों पर लगने वाले कुष्ठ रोग के लिए दो-दो किलो की मात्रा में खैनी की डांटी, मनार, वन तुलसी, नीम की पत्ती, धतूरा की मात्रा मिट्टी के बर्तन में रख दें।
उसमें बीस लीटर गोमूत्र डाल दें। उसका मुंह अच्छी तरह से बंद करके उसे न्यूनतम 21 दिन तक सड़ने दें।
इसके बाद उसे निकाल कर कपड़े से छान लें। फिर पौधों पर 15 लीटर पानी में 100 एमएल मिलाकर खेत में छिड़काव करें। पत्तियों का हर रोग का यह निदान है।