अहमद पटेल : कांग्रेस के इस ‘चाणक्य’ ने हर मुश्किल वक्त में दिया समाधान का रास्ता

Dr. CHETAN THATHERA
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नई दिल्ली। कांग्रेस के ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले अहमद पटेल के निधन से पार्टी में शोक की लहर है। पटेल के निधन की सूचना पार्टी के लिए किसी झटके से कम नहीं, वो भी उस वक्त जब कांग्रेस के अंदर ही घमासान मचा हुआ है। पार्टी में भीतर या बाहर से किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए वो पहले विकल्प होते थे। कांग्रेस को सांगठनिक और राजनैतिक तौर पर मजबूत रखने वाले अहमद पटेल 71 वर्ष की उम्र में आज बुधवार को कोरोना से जिन्दगी की जंग हार गए। उन्होंने गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक व्याप्त हो गया है।

अहमद पटेल को राजनीतिक महकमे में कांग्रेस के ‘चाणक्य’ के रूप में देखा जाता था। कांग्रेस पार्टी में तालुका पंचायत अध्यक्ष के पद से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले अहमद पटेल आठ बार सांसद रहे। अहमद पटेल तीन बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं और 5 बार राज्यसभा के सांसद रहे। पहली बार 1977 में भरूच से लोकसभा का चुनाव जीतकर अहमद पटेल संसद पहुंचे थे। 1977 में इमरजेंसी के गुस्से को मात देकर 26 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे और फिर सियासत में मुड़कर नहीं देखा। वे 1993 से राज्यसभा सांसद थे। अगस्त 2018 में उन्हें कांग्रेस पार्टी का कोषाध्याक्ष नियुक्त किया गया था।

हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले अहमद पटेल कांग्रेस परिवार के विश्वस्त नेताओं में गिने जाते थे। उऩ्होंने गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया और उनके सबसे करीबी रहते हुए भी कभी मंत्री नहीं बने। वर्ष 1985 में जनवरी से सितम्बर माह तक पटेल तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे। 2001 से सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे। जनवरी 1986 में वे गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। 1977 से 1982 तक यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। सितम्बर 1983 से दिसम्बर 1984 तक वे कांग्रेस के जॉइंट सेक्रेटरी रहे।

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार की भूमिका को भी अहमद पटेल ने बखूबी अंजाम दिया। पार्टी और गांधी परिवार के सामने आने वाली हर समस्या पर वह ‘संकट मोचक’ का काम करते थे। जानकारों के मुताबिक अहमद पटेल की वजह से ही सोनिया गांधी भारतीय राजनीति में खुद को स्थापित कर सकीं। पति राजीव गांधी की हत्या और नरसिम्हा राव से बिगड़ते रिश्ते के समय अहमद पटेल की सोच ने ही पार्टी और गांधी परिवार को बिखरने से बचाया था। कांग्रेस संगठन ही नहीं बल्कि सूबे से लेकर केंद्र तक में बनने वाली सरकार में नेताओं का भविष्य भी अहमट पटेल के हाथों में था। कांग्रेस की कमान भले ही गांधी परिवार के हाथों में रही हो लेकिन अहमद पटेल के बिना पार्टी में पत्ता भी नहीं हिलता था। वर्ष 2004 से 2014 तक केंद्र की सत्ता में कांग्रेस के रहते हुए अहमद पटेल की राजनीतिक ताकत सभी ने देखी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा भी है कि अहमद पटेल सभी कांग्रेसियों के लिए वे हर राजनीतिक मर्ज की दवा थे।

गुजरात के भरूच जिले के अंकलेश्वर (पिरामण गांव) में 21 अगस्त 1949 को पैदा हुए अहमद पटेल बिना किसी पद के कांग्रेस पार्टी में गहरी पैठ रखते थे। अहमद पटेल के पिता मोहम्मद इशकजी पटेल भी कांग्रेस से जुड़े थे और भरूच की तालुका पंचायत सदस्य थे। अहमद पटेल ने अपने पिता की उंगली पकड़कर राजनीति सीखी और कांग्रेस के पंचायत तालुक के अध्यक्ष बने। हालांकि, अहमद पटेल ने अपने बच्चों को राजनीति से दूर रखा। 1976 में उन्होंने मेमूना अहमद से शादी की और उनके दो बच्चे, एक बेटा और बेटी, हैं।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा,सी ई ओ, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम