काले चावल की खेती, गुण, फ़ायदा, बीज का भाव और कहाँ मिलता है

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काले चावल की खेती, गुण, फ़ायदा, बीज का भाव और कहाँ मिलता है (Black rice cultivation, properties, benefits, seed price and where is it available)

सबसे पहले काले चावल(Black rice) की खेती की शुरूआत चीन में हुई थी. लेकिन भारत में सबसे पहले काले चावल का उत्पादन मणिपुर और असम राज्यों में किया गया. वहीं अब देश के कई हिस्सों में इसकी खेती होती है. इसका आकार चावल की अन्य किस्मों की तरह ही होता है.

काले चावल की खेती बारिश के दिनों में होती है किसान को चावल की खेती के लिए पानी की ज्यादा जरूरत होती है खेती बारिश पर ही निर्भर करती है। अपनी सुगंध, स्वाद और पोषण के लिए दुनिया भर में मशहूर काले नमक की कम पैदावार किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। इससे अधिकांश किसानों में बोने की हिम्मत नहीं है, लेकिन जल्द ही किसानों की यह समस्या दूर होने वाली है। बौना काला नमक की खेती कर किसान अपने खेतों की लगभग दोगुनी उपज दे सकेंगे। इसका स्वाद, स्वाद और चावल का पोषण मूल्य समान रहेगा। इससे काला नमक की खेती को मजबूती मिलेगी और किसानों को इसका बेहतर लाभ भी मिलेगा।

काले चावल कीमत तीस से चालीस हजार रुपये प्रति हेक्टेयर है

एक हेक्टेयर काला नमक की खेती में करीब तीस से चालीस हजार रुपये का खर्च आता है। एक अच्छी फसल से प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल धान की पैदावार होती है, लेकिन बौना काला नमक प्रति हेक्टेयर 45 से 50 क्विंटल धान की उपज देता है। खर्चा वही रहेगा।पिछले तीन वर्षों में, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, दिल्ली (IARI) ने गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीरनगर, महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया और गोंडा सहित 11 जिलों में धान की कई नई किस्में बोई हैं।बौने काले नमक का उत्पादन पिछले तीन वर्षों में सबसे अच्छा रहा है. कृषि विभाग का मानना है कि आईएआरआई जल्द ही बौने धान को अपनी नई प्रजाति घोषित कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो यहां के किसानों को काला नमक की खेती से अच्छा लाभ मिलेगा.

काले चावल

 

बौने काले नमक के पेड़ पुराने की तुलना में लंबाई में बहुत छोटे होते हैं। पुराना काला नमक का पेड़ हवा के दबाव को झेलने के लिए बहुत लंबा होता है, जिससे फसल खराब हो जाती है और पैदावार कम हो जाती है। लेकिन अब लंबाई कम होने से किसानों को नुकसान ना के बराबर होगा।

बौना काले चावल का गुण

चावल की इसकी सुगंध, स्वाद और पौष्टिकता पुराने काले नमक के समान ही होती है। उत्पादन भी दोगुना हो गया है। ऐसे में किसान काला नमक की खेती के प्रति आकर्षित होंगे और यदि काला नमक का रकबा बढ़ता है तो उसे विदेशों में भारी दर पर बेचकर किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा।

 

काले चावल की नई प्रजातियों की जरूरत है

हालांकि पुराने या पारंपरिक कलानामक का उत्पादन पूसा और अन्य खेतों में अच्छा होता है, लेकिन पूर्वी मिट्टी में यह अच्छा नहीं होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पारंपरिक काला नमक का पेड़ बौने काले नमक से लगभग दोगुना लंबा होता है। थोड़ी हवा चलती है और गिरती है। इससे उत्पादन में फर्क पड़ता है। जब पेड़ छोटे होते हैं तो फसल नहीं गिरती और उपज अच्छी होती है।

काले चावल किस भाव बिकते हैं 

सीम्फेड के प्रोजेक्ट मैनेजर राकेश सिंह के मुताबिक काले चावल की खेती के प्रति किसानों की दिलचस्पी बढ़ रही है. यह अपने विशेष गुणों की वजह से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है. वहीं इससे किसान भी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. सफेद या ब्राउन राइस की तुलना में इसकी कीमत अधिक है. यह सामान्य तौर पर 200 से 500 रूपए प्रति किलो बिकता है. जबकि सामान्य चावल 25 से 80 रूपए प्रति किलो बिकता है. जैविक तरीके से उगाए गए काले चावल की कीमत 500 रूपए प्रति किलो तक मिल जाती है. हालांकि काले चावल की पैदावार अन्य किस्मों की तुलना में कम होती है. राकेश सिंह के मुताबिक सामान्य किस्मों की तुलना में काले चावल की पैदावार कम होती है. जहां एक एकड़ से सामान्य चावल 20 से 25 क्विंटल होता है तो वहीं काले चावल की पैदावार 8 से 10 क्विंटल ही पाती है.

काले चावल की खेती के लिए कितना बीज लगता है

बिहार के गंगासराय गांव के किसान आलोक कुमार पेशे से बैंककर्मी है लेकिन साथ में वे काले चावल की खेती भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि कुछ दोस्तों ने उन्हें काले चावल की खेती करने की सलाह दी थी इसके बाद उन्होंने 300 रूपए किलो के हिसाब से काले चावल का बीज मंगाया. एक बीघा जमीन में लगभग तीन किलो बीज लगता है. वे बताते हैं कि अगर आप ऑर्गेनिक तरीके से काला चावल उगाते हैं तो आपको इसकी कीमत अधिक मिलती है.

 

 बीज के लिए कहां संपर्क करें:अधिक जानकारी

सिम्फेड

पता : संग्राम भवन, डेवलपमेंट एरिया, गंगटोक, ईस्ट सिक्किम.

फोन : +91 3592-202429/203432

J-3/8, नियर सोनी सर्विस सेंटर, राजौरी गार्डन, नई दिल्ली.

फोन :+91-1147042920

इनका कहना है कृषि विज्ञान केंद्र के प्रयोगों में बौने काले नमक के उत्पादन में सुधार हुआ है। आईएआरआई बौने चावल के अलावा कई प्रायोगिक किस्मों पर काम कर रहा है। गोरखपुर की मिट्टी में बौना काला नमक अच्छे परिणाम दे रहा है। आने वाले दिनों में इस नई प्रजाति के नाम की घोषणा होने की उम्मीद है। डॉ. एसके तोमर,अध्यक्ष,कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपारी

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