Jaipur News। राजस्थान मे कांग्रेस मे सियासत को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही वर्चस्व की लडाई तथा दोनो नेताओं के बीच भी वाकयुद्ध रूक-रूक कर जारी है । अब पायलट समर्थक और पूर्व मंत्री कांग्रेस नेता राजेन्द्र चौधरी ने सीएम गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए आलाकमान को सकंते दिए है की आगर राजस्थान मे अब सचिन पायलट को सीएम की कुर्सी पर नही बिठाया तो आने वाले विधानसभा चुनावो मे कांग्रेस का हश्र लोकसभा चुनावो जैसा हो सकता है अर्थात कांग्रेस का सूपडा साफ ।
चौधरी ने सीएम गहलोत को भी सलाह दी की वह अब सीएम की जगह खाली करके सचिन पायलट को कमान सौपंनी चाहिए और उनको मार्ग दर्शक की भूमिका मे आना चाहिए ।
सीएम गहलोत को अब जगह छोडनी..
राजेंद्र चौधरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अब जगह खाली करके सचिन पायलट को कमान सौंपनी चाहिए और खुद को मार्ग दर्शक की भूमिका में आना चाहिए। चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तीन बार मुख्यमंत्री बन गए हैं।
ऐसे में अब उन्हें युवाओं के लिए जगह छोड़नी चाहिए। युवाओं को नेतृत्व देने के लिए आलाकमान भी गंभीरता से विचार कर रहा है, यही वजह है कि पंजाब में पार्टी ने युवा चेहरे को मुख्यमंत्री बनाया है।
गहलोत से नाराज जनता ने सिखाया कांग्रेस को सबक
पूर्व मंत्री ने कहा कि सचिन पायलट ने विपक्ष में रहते हुए जी-तोड़ मेहनत की थी और जनता ने उन्हें उनकी मेहनत का फल देते हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाई और पार्टी को 21 सीटों से 100 सीटों तक पहुंचाया।
लेकिन चुनाव परिणाम के बाद आलाकमान के आशीर्वाद से अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए।पायलट गुट के नेता राजेंद्र चौधरी ने कहा कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाए जाने से नाराज जनता ने विधानसभा चुनाव के 6 माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी को सभी 25 सीटों पर हरा दिया, जिसमें केवल 11 ही विधानसभा क्षेत्र ऐसे थे, जहां पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी। वहीं मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र में उनके पुत्र भी चुनाव बड़े अंतर से हार गए थे।
हो सकता है कांग्रेस का यह हश्र
चौधरी ने कहा कि जिस जनता ने विधानसभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाई तो फिर ऐसा क्या हुआ कि 6 माह बाद ही पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। इसकी वजह यही है कि जनता मुख्यमंत्री के तौर पर सचिन पायलट को देखना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया। राजेंद्र चौधरी ने कहा कि अगर अब भी कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की कमान नहीं सौंपी तो फिर आने वाले विधानसभा चुनाव में लोकसभा चुनाव जैसा हश्र हो सकता है।
विधारक कभी व्यक्ति विशेष का साथ नही होते
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे की ओर से 100 से ज्यादा विधायकों के दावा करने के सवाल पर राजेंद्र चौधरी ने कहा कि विधायक कभी व्यक्ति विशेष के साथ नहीं होते हैं। विधायक आलाकमान के साथ होते हैं, पंजाब में सबने इसका उदाहरण देखा है।कैप्टन अमरिंदर सिंह भी यही कहते थे कि अधिकांश विधायक उनके साथ हैं, लेकिन जब उन्हें हटाने की बारी आई तो सभी विधायकों ने कांग्रेस आलाकमान के फैसले पर ही अपनी आस्था जताई।
इसलिए कांग्रेस आलाकमान को भी विधायकों की बजाए जनमानस की भावनाओं को सुनना चाहिए।पूर्व मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने खुद को कांग्रेस आलाकमान से ऊपर समझते हुए आलाकमान के फैसले पर सवाल खड़े किए थे। जब दबाव बना तो मुख्यमंत्री ने उनसे इस्तीफा ले लिया लेकिन आज तक सीएम गहलोत ने अपने ओएसडी का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि आखिर उन्होंने अपने ओएसडी का इस्तीफा स्वीकार क्यों नहीं किया।
वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट की दो बार राहुल गांधी से मुलाकात और पायलट कैंप की ओर से चल रही बयानबाजी को लेकर अशोक गहलोत खेमा चुप्पी साधे हुए हैं और फिलहाल वेट एंड वॉच की स्थिति में है। बताया जा रहा है कि गहलोत खेमे से जुड़े नेताओं को किसी भी प्रकार से कोई बयानबाजी नहीं के निर्देश दिए गए हैं।