प्याज की अच्छी उपज के लिए टपक या सूक्ष्म फव्वारा विधि से सिंचाई करने से पानी की बचत

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान और किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को साकार करने के लिए वाराणसी में उद्यान विभाग ने बड़ी पहल की है।

बरसात के मौसम में खरीफ फसल के बुवाई के दौरान सहकारी क्षेत्र की प्रमुख संस्था नैफेड के भीमा सुपर खरीफ प्याज के उन्नत किस्म के बीज की बुवाई कर किसान अपनी आय तीन गुना तक बढ़ा सकते है।

उद्यान विभाग ये बीज किसानों को नि:शुल्क दे रहा है। इस बीज से किसान प्रति हेक्टेयर 30 से 40 कुंतल तक उपज ले सकते है।

जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने गुरूवार को ‘हिन्दुस्थान समाचार’ को बताया कि विभाग प्याज की खेती के लिए 12 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान देने के साथ प्रति हेक्टेअर अनुदानित 5.850 ग्राम बीज भी दिया जा रहा है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि विभाग अनुसूचित जाति के लिए 10 हेक्टेअर खेती के लिए बीज दे रहा है। कुल पचास हेक्टेयर में प्याज की बुवाई का लक्ष्य है। अब तक वाराणसी के 300 किसानों में 292.5 किग्रा प्याज का नि:शुल्क बीज वितरित हो चुका है।

जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि जिले में पहली बार आठो ब्लाकों में खरीफ प्याज की खेती के लिए अनुदानित बीज दिया जा रहा है। बरसात में बोये गये प्याज के बीज से फसल जनवरी माह तक तैयार हो जायेगी। जाड़े के मौसम में अपने उत्पाद का विक्रय कर तीन गुना मुनाफा किसान कमा सकते है। इसकी लागत भी कम आती है।

 

प्याज का पौधशाला प्रबंधन

 

जिला उद्यान अधिकारी संदीप गुप्ता ने बताया कि प्याज के अच्छे उत्पादन के लिए पौधों का प्रबंधन भी बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि 0.10 हेक्टेयर क्षेत्र की पौधशाला में एक हेक्टेयर में रोपाई के पर्याप्त होती है। इसके लिए खेतों की कम से कम 06 बार जुताई करनी चाहिए।

जिससे खेतों के ढेले टूट जाए और मिट्टी भूरभुरी होकर अच्छी तरह से पानी सोख सके। रोपाई के लिए भूमि की तैयारी से पहले पिछली फसल के बचे भाग,खरपतवार और पत्थर हटा देना चाहिए।

आखिरी जुताई के समय एक टन अच्छी तरह से सड़ी गोबर की खाद 0.10 हेक्टेयर में मिट्टी के साथ मिलानी चाहिए। पौधशाला के लिए 10-15 सेंमी उचाई, एक मीटर चौड़ाई और सुविधा के अनुसार लम्बाई की उठी हुई क्यारियां तैयार होनी चाहिए।

जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार क्यारियों के बीच की दूरी कम से कम 30 सेमी होनी चाहिए। जिससे एक समान पानी का बहाव हो और अतिरिक्त पानी का निकासी भी संभव हो।

उठी हुई क्यारियां बनाना इसलिए जरूरी है कि समतल क्यारियों से पानी के वजह से बीज के बह जाने का खतरा रहता है। पौधशाला में खरपतवार के नियंत्रण के लिए 0.2 फीसद पेंडीमिथालिन का इस्तेमाल करना चाहिए। लगभग 5-7 किग्रा बीज एक हेक्टेयर में बोना चाहिए। प्याज के बीज के बोवाई के पूर्व दो किग्रा बीज के दर से थिरम का उपयोग आद्र गलन से बचने के लिए करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि ट्रायकोडरमा विरीडी (1250ग्रा/हेक्टेयर) का उपयोग आद्र गलन से बचने के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बीज एक सेमी की दूरी पर कतार में बोया जाना चाहिए। जिससे बीज बुवाई के बाद रोपाई, निराई और कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से हो सके।

खाद और उर्वरक प्रबंधन भी जरूरी

बरसात के मौसम में बोई गई प्याज के अच्छी उपज के लिए खाद और उर्वरक का प्रबंधन भी अह्म है। आखिरी बार खेतों की जुताई के बाद सड़ी हुई गोबर 15ट/हेक्टेयर या सड़ी हुई गोबर की खाद 7.5ट/हे., मुर्गी खाद, केचुंए की खाद 4ट/हे.जैव उर्वरक 05 किग्रा हेक्टेयर होनी चाहिए। खरीफ प्याज 75:40:40:50 एनपीकेएस किग्रा/हेक्टेयर पछेती खरीफ प्याज के लिए 110:40:60:50 एनपीकेएस किग्रा/हे.,रवि प्याज के लिए 110: 40:60:50 एनपीकेएस किग्रा/हेक्टेयर।

इसी तरह प्याज की बुवाई के साथ 34 फीसद नत्रजन, 100 फीसद फास्फोरस, पोटास एवं गंधक पूरी मात्रा में तथा बचा हुआ 66 फीसद नत्रजन दो समभागों में 30 और 45 दिनों की बुवाई के बाद देनी चाहिए। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि बुवाई के बाद बीज को सड़ी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट से ढ़का जाना चाहिए और फिर हल्के पानी का छिड़काव करना चाहिए।

टपक या सूक्ष्म फौव्वारा विधि से करें सिचाई

प्याज की अच्छी उपज के लिए टपक या सूक्ष्म फव्वारा विधि से सिंचाई करने से पानी की बचत होती है। पौधशाला में 0.2 फीसद की दर से मेन्कोजेब के पर्णिय छिड़काव का मृदा जनित रोगों को नियंत्रित करने में आसानी रहती है। कीड़ों का प्रकोप अधिक होने पर 0.1 फीसद फिप्रोनील का पत्तों पर छिछ़काव करना चाहिए। प्याज के पौधे खरीफ में 40-45 दिनों में और पछेती खरीफ एवं रबी के 45-50 दिन में रोपाई के बाद तैयार हो जाते है।

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