जयपुर। श्रीगंगानगर/हनुमानगढ़। पंजाब में व्यास नदी में शुगर मिल का लाखों टन शीरा और अन्य अपशिष्ट बहने से प्रदूषित हुआ पानी राजस्थान की तीन प्रमुख नहरों इंदिरा गांधी नहर, भाखड़ा और गंगनहर में आने लगा है। लालिमा लिए गहरे मटमैले रंग के इस पानी को देख आमजन में दहशत का माहौल है। इस पानी के सेवन से महामारी फैलने की आशंका के चलते जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिलों में सभी जलदाय योजनाओं की डिग्गियों में पानी की आपूर्ति रोक दी है। इन तीनों नहरों के पानी का उपयोग प्रदेश के दस जिलों में पेयजल के रूप में हो रहा है। नहरों के पानी में प्रदूषण का स्तर जांचने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने दोनों जिलों में पानी के नमूने लिए हैं। इसके नतीजे 48 घंटे बाद आएंगे और उसके बाद ही जलप्रदाय योजनाओं की डिग्गियों में पानी की आपूर्ति के बारे में निर्णय किया जाएगा। अगर पानी पीने लायक नहीं हुआ तो प्रदेश के दस जिले जल संकट की चपेट में आ जाएंगे। पंजाब के बटाला जिले के गांव कीड़ी अफगाना में चड्ढा शुगर एवं वाइन मिल के टैंकों में भरा लाखों टन शीरा 16 मई को अत्यधिक तापमान के कारण उफन कर बाहर आ गया और मिल के अपशिष्टों की निकासी के लिए बनाए गए नाले से होता हुआ व्यास नदी के पानी में मिल गया। मिल से बहे शीरे की परत व्यास नदी के चालीस-पचास किलोमीटर क्षेत्र में फैल गई। इससे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो गई और असं य मछलियां और अन्य जलीय जीव तड़प-तड़प कर दम तोड़ गए।अ ब यह पानी हरिके हैडवक्र्स होते हुए राजस्थान की नहरों में आ रहा है। पंजाब से मिली जानकारी के अनुसार हरिके हैडवक्र्स पर अभी प्रदूषित पानी की मात्रा एक लाख क्यूसेक से अधिक है। राजस्थान और पंजाब की नहरों के लिए प्रतिदिन ग्यारह हजार क्यूसेक के करीब पानी पंजाब और राजस्थान की नहरों में छोड़ा जा रहा है। इस हिसाब से प्रदूषित पानी के खपने में कम से कम दस दिन लग जाएंगे। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से लिए गए पानी के नमूनों की जांच में नहरों में आ रहा पानी पीने लायक नहीं पाया गया तो प्रदेश के दसजि लों में पेयजल का संकट खड़ा हो सकता है। इंदिरा गांधी नहर में 35 दिन की बंदी के बाद अभी पानी छोड़ा गया था। गंगनहर और भाखड़ा क्षेत्र में तो पेयजल की डिग्गियां अभी सूखने के कागार पर हैं। इंदिरा गांधीन हर के पानी का उपयोग श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ सहित चूरू, झुंझुनूं, सीकर, बीकानेर , जैसलमेर , बाड़मेर, जोधपुर और नागौर जिलों में पेयजल के रूप में होता है।