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दीपावली पर 499 साल बाद दुर्लभ संयोग,किन राशियों की बदलेगी चाल,किसे होगा लाभ और नुकसान - Dainik Reporters

दीपावली पर 499 साल बाद दुर्लभ संयोग,किन राशियों की बदलेगी चाल,किसे होगा लाभ और नुकसान

Dr. CHETAN THATHERA
7 Min Read

Bhilwara news । कोरोना संक्रमण काल के बीच इस साल दीपावली का पांच दिवसीय पर्व 13, नवम्बर से मनाया जाएगा । दीपावली का पर्व 14 नवंबर को देश भर में मनाया जाएगा । इस साल दीपावली के दिन गुरु ग्रह अपनी राशि धनु में और शनि अपनी राशि मकर में रहेंगे. वहीं, शुक्र ग्रह कन्या राशि में नीच रहेगा । इन तीनों ग्रहों का यह दुर्लभ योग वर्ष 2020 से पहले 489साल पहले अर्थात सन 1521 में 9 नवंबर को देखने को मिला था इसी दिन उस वर्ष दीपोत्सव मनाई गई थी। ज्योतिष नगरी कारोई के ज्योतिष पण्डित गोपाल उपाध्याय ने देनिक रिर्पोटर डाॅट काॅम को यह जानकारी देते हुए दीपावली पूजन का मुहूर्त, कैसे करे पूजा ,क्या होगा लाभ क्या करे दी विस्तृत जानकारी पढे

क्या होगा लाभ

जैसा कि गुरु और शनि आर्थिक स्थिति को मजबूत करने वाले ग्रह माने जाते है ऐसे में यह दीपावली कई शुभ संकेत लेकर आई है ।

दीपावली का शुभ मुहूर्त

14 नवंबर को चतुर्दशी तिथि पड़ रही है जो दोपहर 1:16 तक रहेगी और इसके बाद अमावस्या तिथि का आरंभ हो जाएगा जो 15 नवंबर की सुबह 10:00 बजे तक रहेगी। हालांकि, 15 तारीख को केवल स्नान दान की अमावस्या की जाएगी । वैसे लक्ष्मी पूजा संध्याकाल या रात्रि में दिवाली में की जाती है।।

धनतेरस , रूप चतुर्दशी। , एवं अमावस्या तिथियों की तारीख
और समय का विवरण

धनतेरस
12 – 11 -2020 को रात 9:30 बजे से 13 – 11 – 2020 की सांय 5 : 59 बजे तक रहेगी ।।
चतुर्दशी

13 -11 -2020 को सांय 6 :00 बजे से 14 – 11 -2020 की दोपहर 2 : 16 बजे तक रहेगी।।
अमावस्या
14 – 11 -2020 को दोपहर 2 : 17 बजे से आरम्भ हो जाएगी जो
15 – 11 -2020 की सुबह 10 : 36 बजे तक रहेगी ।।
इस अनुसार दीपावली पर्व
14 – 11 2020 को मनाया जायेगा ।।
गोवर्धन पूजा अन्नकुट
15 – 11 – 2020 को सुबह 10 : 36 बजे के बाद मनाया जाएगा।।

लक्ष्मी पूजा व धनतेरस मुहूर्त

धनतेरस की पूजा 13 नवंबर
सांय प्रदोष वेला यमदीपदान एवं श्री पूजन सांय 5 बजकर45 से
8 बजकर24 मिनट तक

14नवम्बर गादी स्थापना मुहूर्त

गादी स्थापना स्याही भरना कलम दवात सँवारने हेतु प्रातः पुजा मुहूर्त 8 बजकर 21 मिनट से 9 बजकर 41 तक शुभ वेला

श्री महालक्ष्मी पूजन मुहूर्त
शुभ वेला
अभिजित महूर्त
दिन में 12 बजे से 12 बजकर 44 मिनट तक
चंचल वेला
दिन में 12 बजकर 23 मिनट से 1 ,43 तक
लाभ अमृत वेला
दिन में 1बजकर 43 मिनट से 4 बजकर 24 तक

स्थिर संज्ञक वृषभ/ प्रदोष लग्न

सांय 5 बजकर 49 मिनिट से 7 बजकर46 मिनिट तक

सिंह लग्न
मध्य रात्रि 12 बजकर 17 मिनट से 2बजकर 33 मिनट तक रहेगा इस समय महालक्ष्मी जी की की हुई पूजा व कनक धारा स्त्रोत के पाठ सिद्दीदायक होगें

 

ज्योतिष पण्डित गोपाल उपाध्याय के अनुसार इस दीपावली गुरु धनु राशि में रहेगी ऐसे में श्री यंत्र की पूजा रात भर कच्चे दूध से करना लाभदायक हो सकता है।
इधर, शनि अपनी मकर राशि में विराजमान रहेंगे इस दिन अमावस्या का योग भी है ऐसे में तंत्र-यंत्र की पूजा करना इस दिन लाभदायक होगा।

दिवाली पर इन्हें भी पूजें

दिवाली पर केवल महालक्ष्मी की ही नहीं बल्कि साथ ही साथ भगवान विष्णु की पूजा अर्चना भी श्रद्धा पूर्वकर की जानी चाहिए, तब ही मां प्रसन्न होती है. इसके अलावा इस दिन यमराज, चित्रगुप्त, कुबेर, भैरव, हनुमानजी, कुल देवता व पितरों का भी श्रद्धा पूर्वक पूजना चाहिए।

दिवाली पर करे यह पाठ

दिवाली में श्री सूक्त का पाठ जरूर करें. साथ ही साथ विष्णु सहस्रनाम, गोपाल सहस्रनाम आदि का पाठ भी आपके ग्रह-नक्षत्रों के लिए बेहद शुभ साबित हो सकता है।

दोनों दिवाली एक ही दिन

इस बार दोनों दिवाली एक ही दिन मनायी जाएगी । कार्तिक मास की त्रयोदशी से भाईदूज तक दिवाली का त्योहार मनाया जाता है लेकिन, इस बार छोटी और बड़ी दिवाली एक ही दिन पड़ रही है। इस बार कार्तिक मास की त्रयोदशी इस वर्ष 13 नवंबर को और छोटी व बड़ी दिवाली 14 नवंबर को है।।

 

दीपावली पूजन विधि

पूजा वाली चौकी लें, उस पर साफ कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी की प्रतिमा को विराजमान करें ।।

मूर्तियों का मुख पूर्व या पश्चिम की तरफ होना चाहिए।

अब हाथ में थोड़ा गंगाजल लेकर उनकी प्रतिमा पर इस मंत्र का जाप करते हुए छिड़कें।

ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।। जल अपने आसन और अपने आप पर भी छिड़कें। – इसके बाद मां पृथ्वी माता को प्रणाम करें और आसन पर बैठकर हाथ में गंगाजल लेकर पूजा करने का संकल्प लें।

इसके बाद एक जल से भरा कलश लें जिसे लक्ष्मी जी के पास चावलों के ऊपर रखें,, कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें ,, साथ ही उसमें सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें।

अब इस कलश पर एक नारियल रखें, नारियल लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि उसका अग्रभाग दिखाई देता रहे यह कलश वरुण का प्रतीक है।

अब नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें ,फिर लक्ष्मी जी की अराधना करें और इसी के साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधि विधान पूजा करें।

पूजा करते समय 11 या 21 छोटे सरसों के तेल के दीपक और एक बड़ा दीपक जलाना चाहिए। एक दीपक चौकी के दाईं ओर एक बाईं ओर रखना चाहिए।

भगवान के बाईं तरफ घी का दीपक जलाएं, और उन्हें फूल, अक्षत, जल और मिठाई अर्पित करें।

अंत में गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती उतार कर भोग लगाकर पूजा संपन्न करें।

जलाए गए 11 या 21 दीपकों को घर के सभी दरवाजों के कोनों में रख दें।

इस दिन पूजा घर में पूरी रात एक घी का दीपक भी जलाया जाता है।

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चेतन ठठेरा ,94141-11350 पत्रकारिता- सन 1989 से दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर, नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम