मंदसौर, (हि.स.)। दशानन रावण को मंदसौर का जमाई कहा जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंदसौर की थी और इसी कारण दशुपर नगरी का नाम मंदसौर भी पड़ा। कहा जाता है कि मंदोदरी नामदेव समाज की थी और नामदेव समाज इसी वजह से प्रतिवर्ष दशहरे के दिन मंदसौर नगर के खानपुरा में स्थित रावण की आदमकद प्रतिमा की पूजा – अर्चना करता है। लेकिन यही प्रतिमा अब दुर्दशा और नपा की उदासीनता का शिकार हो रही है।
प्रतिमा कई जगह से खण्डित हो चुकी है। दशहरा इस वर्ष 25 अक्टूबर को है मतलब 20 दिन बाद लेकिन नपा ने अभी तक प्रतिमा को ठीक करने की सुध नहीं ली है। मंदसौर के खानपुरा क्षेत्र में रावण की आदमकद प्रतिमा स्थापित है। इससे पहलेे की रावण की प्रतिमा इससे बड़ी और विशालकाय थी लेकिन आकाशीय बिजली गिरने से वह प्रतिमा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी जिसके बाद नगर पालिका द्वारा नई प्रतिमा का निर्माण करवाया गया था।
गधे वाले मुंह सहित कई स्थानों से क्षतिग्रस्त हो रही है प्रतिमा
रावण की प्रतिमा पर उसके दस सिर बनाये गये है इनमें से एक सिर गधे वाला भी है। जो कि टूट चुका है। वही प्रतिमा का रंग रोगन भी बेकार हो गया है प्रतिमा पर बड़ी-बड़ी घास उग गई है। वैसे प्रतिवर्ष दशहरे से पूर्व नगर पालिका द्वारा इस प्रतिमा का रंगरोगन किया जाता है लेकिन इस वर्ष दशहरे में सिर्फ 20 दिन बचे है और रावण की प्रतिमा के रंग रोगन और साफ सफाई का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है।
नामदेव समाज करता है पूजा अर्चना
नगर का नामदेव समाज दशहरे के दिन रावण की प्रतिमा के पैर में लच्छा बांधकर पूजा अर्चना करता है। यह भी मान्यता है कि रावण की पूजा अर्चना करने से वर्ष भर बुखार जैसी बिमारियों से दूर रहा जा सकता है। नामदेव समाजजन रावण का पुतला दहन नहीं करते हुए प्रतिकात्मक रूम से रावण के पुतले का वध करते है।
रावण की भव्य आदमकद प्रतिमा देखरेख के अभाव में हो रही क्षतिग्रस्त

चेतन ठठेरा ,94141-11350
पत्रकारिता- सन 1989 से
दैनिक नवज्योति - 17 साल तक ब्यूरो चीफ ( भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़) , ई टी राजस्थान, मेवाड टाइम्स ( सम्पादक),, बाजार टाइम्स ( ब्यूरो चीफ), प्रवासी संदेश मुबंई( ब्यूरी चीफ भीलवाड़ा),चीफ एटिडर,
नामदेव डाॅट काम एवं कई मैग्जीन तथा प
समाचार पत्रो मे खबरे प्रकाशित होती है .चेतन ठठेरा, दैनिक रिपोर्टर्स.कॉम