Jaipur news / अशफाक कायमखानी।अचानक सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायको के खिलाफ राजद्रोह की धारा 124-A सहित अन्य धाराओं मे ACB व SOG मे रिपोर्ट दर्ज कर राजस्थान मे राजनीतिक अस्थिरता का माहोल बनाकर पायलट के भाजपा से मिलकर कांग्रेस से बगावत कर सरकार गिराने का काल्पनिक माहोल बना कर मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा पायलट को पहले कांग्रेस से बाहर करने व फिर पायलट की कांग्रेस मे वापसी मे लगातार अड़गा लगाने की चेष्टा को कांग्रेस के दिल्ली मे मोजूद पार्टी के अंदर मोजूद गहलोत की चाल के विरोधी नेतायों ने एक झटके मे फैल करके सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायको की ससम्मान कांग्रेस मे वापसी करवाने मुख्यमंत्री को असहज कर दिया है।
हालांकि सचिन पायलट शुरु से मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा अपने चहेते के मार्फत दर्ज रिपोर्ट को गलत बताते हुये हमेशा अपने आपको कांग्रेस मे रहने का बताते रहे ओर साथ ही कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं से बराबर सम्पर्क बनाये रखने का परिणाम यह निकला कि मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा उन्हें नकारा व निकम्मा सहित बहुत कुछ बताते रहने के बावजूद कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं के मन मे उनके प्रति सहानुभूति उभरती चली गईं। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल व पी चिदरम्बरम जैसे नेताओं ने सचिन पायलट के कांग्रेस मे रहने की वकालत करने मे पूरा जोर लगाने के साथ राहुल गांधी व प्रियंका गांधी को तैयार किया कि पायलट की कांग्रेस मे वापसी होना कांग्रेस हित मे होगा।
तीन दिन से राहुल गांधी व पायलट के साथ कुछ नेताओं के आपस मे सम्पर्क बनाये रखने की खबर गहलोत को भी बराबर थी। गहलोत उस पर नजर गढाये हुये थे। जब राहुल गांधी-व पायलट की मुलाकात तय हो गई ओर समझोते का एक तरह से खाका खींच जाने के बाद गहलोत समझ गये कि वो अब पायलट की वापसी रोक नही पायेगे तो उन्होंने चूप्पी धारण करना ही अपने लिये बेहतर समझा। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी व सचिन पायलट की आपस मे वार्ता चल रही थी उसी के मध्य खबर आई कि मणिपुर के 24 कांग्रेस विधायकों मे से 8 विधायको ने व्हीप के बावजूद विश्वास मत के खिलाफ मतदान करने नही आये है। यानि कांग्रेस के आठ विधायको ने कांग्रेस व्हीप का उलंघन कर दिया है। इसी के साथ दो दिन कांग्रेस के संगठन महामंत्री केसी.वेणुगोपाल के जैसलमेर मे एक एक विधायक से मिलकर उनकी राय जानने के बाद दी रिपोर्ट मे मुख्यमंत्री के तोर पर गहलोत को ही चाहने पर विधानसभा मे विश्वास प्रस्ताव के मत विभाजन मे कुछ विधायको के इधर उधर होने की जानकारी देना पायलट के हित मे काम आई।
कांग्रेस वापसी के लिये राहुल गांधी-प्रियंका गांधी व सचिन पायलट के मध्य हुई वार्ता मे सचिन पायलट ने कोई शर्त नही रखी पर मुख्यमंत्री गहलोत की कार्यशैली व जनता से किये वादे पूरे नही होने के अलावा अल्पसंख्यक व दलित हत्याचारो के बारे मे खुलकर बताया बताते। राहुल गांधी ने पायलट को फिर से उपमुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहने को कहा तो पायलट ने मना कर दिया। पर पायलट को राहुल-प्रियंका ने उनका पूरा ध्यान रखने का उन्हें भरोसा दिलाया। जानकारी अनुसार मंत्रीमंडल विस्तार मे पायलट समर्थकों का ध्यान रखने व बर्खास्त मंत्रियों को फिर से मंत्री बनाने के अलावा यह भी तय हुवा बताते है कि पायलट एक साल केन्द्रीय राजनीति मे रहेगे ओर गहलोत राज्य के मुख्यमंत्री रहेगे। मुख्यमंत्री गहलोत के कार्यकाल के ढाई साल पूरे होने के बाद सचिन पायलट बचे समय के लिये मुख्यमंत्री बनेगे ओर गहलोत केन्द्रीय राजनीति मे जायेगे।
कुल मिलाकर यह है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अपने आपको सर्वसर्वा बनाये रखने के लिये चलाये जाने वाले राजनीतिक तीर से बचने वाले पायलट पहले नेता साबित हुये है। राजनीतिक नियुक्तियों व मंत्रीमंडल विस्तार मे अब पायलट समर्थकों को फायदा होगा या गहलोत के साथ डटे रहे विधायको को अधिक फायदा होगा यह आगे देखना होगा। लेकिन प्रदेश मे दो पावर सेंटर अब भी कायम रहेगे।