जयपुर । केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में SC ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन को दरकिनार कर किए गए बदलाव के विरोध में अब सवर्ण समाज लामबंद बंद होने लगा है। भाजपा सरकार के इस निर्णय के विरोध में सोशल मीडिया में एक अघोषित आंदोलन छिड़ गया है।

इसके कारण अब यह सोशल मीडिया की मुहिम गांव कस्बों में आंदोलन के रूप में फैलती जा रही है इसका नतीजा सामने आ रहा है कि जगह जगह सवर्ण महापंचायत बुलाई जा रही है। सवर्णों की यह नाराजगी भाजपा सरकार को भारी पड़ रही है
मालूम हो कि पांच राज्यों में इसी वर्ष दिसंबर में और अगले वर्ष मई में लोकसभा के चुनाव होने हैं। सवर्ण अब तक भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है ऐसे में इस वर्ग की की नाराजगी भाजपा सरकार को भारी पड़ती नजर आ रही है।
हालात यह बन रहे हैं कि यह एक्ट अब केंद्र सरकार के गले की हड्डी बन गया है जिसे ना उगलते बन रहा है और ना निगलते। केंद्र सरकार ने एससी एसटी वर्ग को खुश करने के लिए भले ही यह दांव खेला हो पर यह दाव अब सरकार के गले की फांस बनता जा रहा है।
बिहार में जहां सवर्ण आंदोलन हिंसक रूप दे रहा है वही राजस्थान में भी इस आंदोलन की दस्तक सुनाई देने लगी है।
सोशल मीडिया पर इस आंदोलन को तेजी से हवा मिल रही है इसमें भाजपा के लिए सुखद बात यह है कि अब लोग भाजपा को वोट नहीं देने की कसमें खा रहे हैं और साथ ही वे कांग्रेस को भी वोट नहीं दे रहे हैं इसमें सबसे आगे नोटा का प्रयोग करने का अभियान चलाया हुआ है।
माना जा रहा है कि जल्द ही सवर्ण आंदोलन का कोई हल नहीं निकाला तो भाजपा को इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। इस आंदोलन में सवर्णों के साथ ओबीसी वर्ग भी जुड़ा हुआ है ऐसे में अब सरकार इस पर बैकफुट पर आ सकती है।
मालूम हो कि एससी एसटी एक्ट पर बदलाव के साथ ही राजस्थान में ही कई ऐसे मामले सामने आ गए जहां दुर्भावनावश इस एक्ट का दुरुपयोग किया गया। बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह वाले मामले में तो यह एक्ट पूरा एक्सपोज हो गया इसके बाद अब इस एक्ट के खिलाफ लड़ाई छिड़ गई है।