चित्तौड।
अक्सर इंसानों को नशे की लत लग जाती है, पर तब क्या होगा जब परिंदे नशे के लती हो जाएं सुनने में आपको अजीब लग रहा होगा पर ये हकीकत है मामला चित्तौड़गढ़ का है यहां के तोते अफीम का नशा करते दिख रहे हैं. इससे यहां के किसान तो परेशान हैं ही साथ ही साथ इन परिंदों की सेहत भी खतरे में है।
कहते हैं तोता अंगूर मिर्ची खाता है, लेकिन आपको ये सुनकर अजीब लगेगा की कुछ ऐसे तोते भी हैं जो नशे के रूप में अफीम खाते हैं और पेड़ की डालियों पर बैठकर इश्क फरमाते हैं. जी हां, हम बात कर रहें चित्तौड़गढ़ की. यहां तोते इन दिनों अफीम की लहलहाती फसलों पर लग रहे डोडे को खाकर मद मस्त हो रहे हैं.
ये समय अफीम की चिराई लुराई का है, जिसके चलते काश्तकार सवेरे से शाम तक इसी कार्य में व्यस्त रहते. वहीं नशे के आदी तोते चुपके से आकर डोडे की चिराई से आई अफीम को चटकर जाते हैं. फलों के शौकीन तोते अफीम के डोडो को फल समझ कर जब उसे बार-बार चखते है तो उनका कुछ इस तरह नशे में हो जाने का यह नजारा आम है.
राजस्थान में सबसे अधिक अफीम उत्पादक चितौडगढ़ जिले के अफीम के खेतों के आस-पास तोतों की यह कारस्तानी देखने को मिल रही है, जो डोडे से अफीम का स्वाद लेकर नशे के नुकसान से बेपरवाह पेड़ों पर नशे में झूमते और लंबी उड़ान भरते नजर आते हैं. अफीम की लत में चूर ये परिंदे नहीं जानते की चंद दिनों बाद जब अफीम खत्म हो जाएगी तो उनका क्या हाल होगा. महंगी फसल होने के चलते किसान दिन और रात खेत में ही रहते हैं, लेकिन तोतों की वजह से उन्हें भारी परेशानी हो रही है. किसान उनकी रखवाली नहीं कर पा रहे है. अगर तोतों को एक जगह से भगाया जाता है तो वो दूसरी जगह उड़कर बैठ जाते हैं.
हालाकि कई किसानों ने तोतों से अफीम को बचाने के लिये फसल के ऊपर तारों के जाल भी बिछा रखे है, लेकिन इस जाल में तोतों के फस जाने पर मरने की स्थिति के कारण कई किसान अब सिर्फ रखवाली कर अपनी फसल को तोतों से बचा रहे हैं.