अजमेर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली में ख्वाजा साहब की दरगाह की खादिमों की संस्था अंजुमन, दरगाह कमेटी व केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की मौजूदगी में सूफी संत ख्वाजा साहब के 807वें सालाना उर्स के मौके पर उनकी ओर से पेश की जाने वाली चादर सौंपी। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने दरगाह से जुड़े पदाधिकारियों से आधे घंटे तक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि उनकी इच्छा है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत करें, जैसे ही उन्हें समय मिलेगा वे अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत करेंगे। अंजुमन पदाधिकारियों को प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी ख्वाजा साहब की दरगाह का तबर्रख ग्रहण करते रहे हैं। उनकी ख्वाजा साहब के प्रति शुरू से ही अकीदत है। ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में प्रधानमंत्री की ओर से चादर भेजने की पंरपरा है।
इसीलिए शनिवार को पीएम मोदी ने दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास पर दरगाह के खादिमों के प्रतिनिधियों को बुलाया। यह पहला अवसर रहा जब चादर के लिए खादिमों के प्रतिनिधियों को बुलाया गया। इससे पहले किसी केन्द्रीय मंत्री को बुलाकर चादर सौंप दी जाती थी और सरकारी रस्म अदायगी के साथ चादर को मजार शरीफ पर पेश किया जाता था। बातचीत के दौरान खादिमों ने मोदी को दरगाह आने का निमंत्रण दिया। इस अवसर पर प्रधामंत्री ने कहा कि ख्वाजा साहब ने सूफीवाद का जो पैगाम दिया, उसी से दुनिया में अमन चैन कायम हो सकता है।
ख्वाजा साहब के सूफीवाद के सिद्धांत में कट्टरवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने जो योजनाएं चलाई है, उनका लाभ आम मुसलमान को भी मिलता है। मेरी सरकार में भेदभाव नहीं होता।