जयपुर
प्रदेश में मुख्यमंत्री का नाम तय होने के साथ ही केबिनेट को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत के शपथ लेने के साथ ही मंत्रियों को भी शपथ दिलवाई जाएगी। इसमें यह तो तय है कि गहलोत के साथ ही सचिन पायलट उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे लेकिन यह भी चर्चा है कि केबिनेट मंत्रियों को भी साथ ही शपथ ग्रहण करवा दिया जाए।
गहलोत की केबिनेट में जातीय, क्षेत्रीय और वरिष्ठïता का मिलाजुला असर देखने को मिल सकता है। इसमें ब्राह्मïण, राजपूत, वैश्य, एससी व एसटी वर्ग, जाट समाज के नेताओं को शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ निर्दलीयों को भी साथ कर उन्हें भी मंत्रीपद दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि सीपी जोशी, शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, परसादी लाल मीणा, दीपेन्द्र सिंह शेखावत, भरत सिंह, हेमाराम चौधरी, महेन्द्रजीत सिंह मालवीय, राजेन्द्र पारीक, बृजेन्द्र ओला, प्रमोद जैन भाया, मेवाराज जैन, अमीन खान, विश्वेन्द्र सिंह, जितेन्द्र सिंह, ममता भूपेश, गुरमीत सिंह कुन्नर, महेश जोशी, प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया और रमेश मीणा को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जा सकता है। इसमें भी वरिष्ठï नेताओं को केबिनेट में शामिल किया जाएगा और दूसरी या तीसरी बार जीते नेताओं को राज्यमंत्री बनाकर खुश किया जा सकता है।
मंत्रिपरिषद के गठन में गहलोत और सचिन पायलट दोनों धडो के विधायकों को पर्याप्त स्थान दिया जाएगा। ऐसा नहीं होने की स्थिति में धडेबंदी बढ सकती है जो कुछ समय बाद गहलोत के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। ऐसे में कयास है कि सभी गुटों के नेताओं को मंत्रिपरिषद में शामिल किया जाएगा और अन्य को संसदीय सचिव बनाया जाएगा।
इसके अलावा चर्चा यह भी है कि दीपेन्द्र सिंह शेखावत को एक बार फिर विधानसभा अध्यक्ष ही बनाया जाएगा। ऐसे में उन्हें केबिनेट में शामिल नहीं किया जाए तो यह तय है कि वे विधानसभा अध्यक्ष बनेंगे।