जयपुर।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में मतदाताओं ने दो ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव मैदान से बैरंग से लौटा दिया, जिनको 11 माह पहले हुए उपचुनावों में सिर आंखों पर बिठाकर संसद और विधानसभा भेजा था. वहीं 11 माह पहले जिस प्रत्याशी को लोकसभा में जाने से रोका उसे इस बार विधानसभा भेज दिया. ये प्रत्याशी हैं अलवर सांसद डॉ. कर्ण सिंह यादव, नसीराबाद विधायक रामस्वरूप लांबा और मांडलगढ़ के पूर्व विधायक विवेक धाकड़.
प्रदेश में 11 माह पहले हुए अलवर लोकसभा उपचुनावों में मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. कर्ण सिंह यादव को 1,96,486 मतों के भारी अंतर से बहुमत से देकर संसद भेजा था. उसी सफलता से उत्साहित होकर पार्टी ने विधानसभा चुनावों में अलवर के किशनगढ़बास विधानसभा सीट से डॉ. यादव को चुनाव मैदान में उतारा था. लेकिन मतदाताओं ने उनको नकार दिया. डॉ. यादव न केवल चुनाव हारे, बल्कि वे तीसरे स्थान पर रहे.
इसके विपरीत अजमेर लोकसभा उपचुनावों में संसदीय क्षेत्र के लोगों ने बीजेपी की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरेरामस्वरूप लांबा को बतौर सांसद खारिज कर दिया था. जबकि वे सहानुभूति की नाव में सवार थे. लांबा के पिता डॉ. सांवरलाल जाट इस क्षेत्र के सांसद थे. उनका निधन हो जाने के कारण हुए उपचुनावों पार्टी ने जाट के पुत्र रामस्वरूप को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वे मतदाताओं की सहानुभूति नहीं बटोर पाए. पार्टी ने इस बार विधानसभा चुनाव में उन पर फिर दांव खेला और उन्हें जाट की परंपरागत नसीराबाद विधानसभा सीट टिकट दिया. मतदाताओं ने 11 महीने पहले जिस प्रत्याशी को सांसद पद के लिए खारिज कर दिया उसे अब विधानसभा भेज दिया. यहां रामस्वरूप बड़े अंतराल से चुनाव जीते.
तीसरा बड़ा उदाहरण भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ के पूर्व विधायक विवेक धाकड़ रहे. धाकड़ को भी मतदाताओें ने 11 माह पहले हुए उपचुनाव में मांडलगढ़ का विधायक चुनकर भेजा था. लेकिन हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में उनको पटखनी देते हुए विधानसभा जाने से रोक दिया. इस बार कांग्रेस के पक्ष में माहौल होते हुए भी धाकड़ हार गए.