जेट एयरवेज यात्री ने मांगा 30 लाख का मुआवजा

liyaquat Ali
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जयपुर। जेट एयरवेज की मुंबई-जयपुर फ्लाइट में 30 यात्री के बीमार होने का मामला तूल पकडता जा रहा है। फ्लाइट में यात्रियों के मुंह और कान से खून आने लगा था। इसके बाद जेट एयरवेज की ओर से प्रबन्धन सही नहीं होने पर एक यात्री ने कम्पनी पर 30 लाख का मुआवजा ठोक दिया है।

एयरलाइन के सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया कि यात्री ने एयरलाइन द्वारा देखभाल में कमी का आरोप लगाया है.  इसके अलावा यात्री ने उड़ान का वीडियो भी ‘शेयर’ करने की चेतावनी दी है. इस उड़ान में क्रू के सदस्य केबिन वायु दबाव को नियंत्रित करने वाले स्विच को खोलने में विफल रहे थे. इस वजह से विमान में सवार करीब 30 यात्रियों के नाक व कान से खून आने लगा था.

ज्ञात हो कि यदि यात्री किसी एयरलाइन से यात्रा के समय घायल होता है तो एयरलाइन को उसे मुआवजा देना होता है. ऐसे में यात्री ने दावा किया है कि जेट एयरवेज ने यात्रियों का ध्यान नहीं रखा. ऐसे में उसे 30 लाख रुपये का मुआवजा तथा 100 अपग्रेड वाउचर दिए जाएं ताकि वह इकनॉमी श्रेणी के टिकट पर बिजनेस श्रेणी में यात्रा कर सके.

गुरुवार  सुबह जेट एयरवेज़ की मुंबई-जयपुर उड़ान को टेकऑफ के बाद मुंबई वापस उतारना पड़ा, क्योंकि टेकऑफ के दौरान क्रू केबिन प्रेशर को बरकरार रखने का स्विच दबाना भूल गया था, जिसकी वजह से 166 में से 30 यात्रियों की नाक और कान से खून बहने लगा, और कुछ को सिरदर्द की शिकायत हुई.

बाद में जेट एयरवेज़ की उस उड़ान के क्रू को ड्यूटी से हटा दिया है, जिसमें केबिन प्रेशर बरकरार न रख पाने की वजह से यात्रियों के कान-नाक से खून बहने लगा था, और उसे टेकऑफ के बाद वापस मुंबई उतारना पड़ा था.

केबिन प्रेशर की वजह से विमानक्रैश, 121 की मौत

जानकारी हो कि ऐसी ही एक घटना 13 साल पहले ग्रीस (यूनान) में हुई थी। यहां एक पहाड़ी इलाके में एक बोइंग विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई थी। वहां हेलिओस एयरवेज की फ्लाइट संख्या 522 ने 14 अगस्त, 2005 को साइप्रस के लर्नाका से ग्रीस (यूनान) के एथेंस के लिए उड़ान भरी थी,

लेकिन बीच रास्ते में ही विमान क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में चालक दल के सदस्यों सहित कुल 121 यात्रियों की मौत हो गई थी। विमान के चालक दल के सदस्यों ने विमान के उड़ान से पहले तीन अलग-अलग मौकों पर दबाव प्रणाली को नजरअंदाज कर दिया।

चालक दल के किसी भी सदस्य ने दबाव प्रणाली की गलत सेटिंग पर ध्यान ही नहीं दिया। इसके बाद विमान जैसे ही उड़ा और हवा में पहुंचा तो केबिन के अंदर धीरे-धीरे दबाव कम होने लगा। जब विमान 12 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचा तो दबाव प्रणाली की ओर से चालकों को चेतावनी मिलने लगी। धीरे-धीरे विमान के अंदर दबाव बढ़ता चला गया, जिसका नतीजा ये हुआ कि विमान जल्द ही क्रैश हो गया और एक बड़ी दुर्घटना हो गई।

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