ठन गई , मौत से मेरी ठन गई….

liyaquat Ali
10 Min Read

 

 

 

देश के पूर्व प्रधानमंत्री कवि, अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया.

 

जयपुर। जुझने का मेरा इरादा नहीं था… मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था. रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई , यों लगा मौत जिंदगी से बड़ी हो गई… अटल जी की ये कविता जो उन्होंने सालों पहले लिखी थी आज उन पर सटीक बैठ रही है… जब वे जिंदगी की जंग हार गए और मौत उनसे बड़ी हो गई…. देश के पूर्व प्रधानमंत्री कवि, अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया… भले ही उनका निधन हो गया लेकिन उनके प्रधानमंत्री रहते किए गए कार्यों के लिए वे देशवासियों को सदैव याद आएंगे। उनकी कविताओं को लोग सदैव गुनगुनाते रहेंगे….. उन्हीं के कार्यकाल और जीवन पर डालते हैं एक नजर आखिर कैसे थे अटल जो अटल ही रहे…..

वाजपेयी का राजनीतिक जीवन
वाजपेयी का जन्‍म 25 दिसंबर 1924 को हुआ
1942 में राजनीति में आए,

भारत छोड़ो आंदोलन मे उनके भाई 23 दिनों के लिए जेल गए.
1951 में आरएसएस के सहयोग से भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन हुआ
1952 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार लखनऊ से लड़ा लेकिन हारे.
. 1957 में बलरामपुर से पहला चुनाव जीता.
लखनऊ और मथुरा से हारे.़

1968 में वाजपेयी राष्‍ट्रीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष बने.
आपातकाल के बाद 1977 और 1980 में जीते.
1996 से लेकर 2004 तक 3 बार प्रधानमंत्री बने.

1996 में वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने.
उनकी सरकार 13 दिन चली..

1999 में वाजपेयी फिर पीएम बने

5 साल सरकार चलाई…

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजयेयी को उनके कार्यकाल में 5 उपलब्धियों के लिेए हमेशा याद किया जाता रहेगा…..हालांकि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव सरकार के आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया… इसी लिए हमारी अर्थव्यवस्था काफी मजबूत रही….. अटल बिहारी वाजपेयी के वे 5 कदम, जिन्होंने नये भारत की तस्वीर गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है. इनमें सड़कों को देश से जोड़ने , सर्व शिक्षा अभियान, संचार क्रांति को बढ़ावा देने, निजीकरण को बढ़ावा देने, राजकोषीय घाटा कम करने के लिए नीति बनाना प्रमुख है……

वाजपेयी सरकार के बड़े काम
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
स्वर्ण‍िम चतुर्भुज योजना
चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को हाइवे बने
वाजपेयी वित्तीय उत्तरदायित्व का अधिनियम लाए थे
राजकोषीय घाटा कम किया
संचार क्रांति को लाने का श्रेय
निजीकरण को बढावा
सर्व शिक्षा अभियान

1-सड़कों से जोड़ा देश

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ही सोच का परिणाम है कि उन्होंने प्रधानमंत्री सड़क योजना से पूरे देश को जोड़ने का काम किया…… इसके लिए उन्होंने देश के मेट्रो शहरों को ही नहीं, बल्क‍ि दूर-दराज के गांवों को भी सड़कों से जोड़ने के लिए योजनाएं शुरू कीं…… इसमें स्वर्ण‍िम चतुर्भुज योजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अहम है….. स्वर्ण‍िम चतुर्भुज योजना ने चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को हाइवे के नेटवर्क से जोड़ने में मदद की….. वहीं, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने देश के दूर-दराज इलाकों में बसे गांवों तक सड़क पहुंचाने का काम किया….. इससे इन गांवों के लिए शहरों से जुड़ना आसान हुआ.

2-संचार क्रांति

वाजपेयी सरकार ने देश में संचार क्रांति लाने में भी अहम भूमिका निभाई है……. ये वाजपेयी सरकार ही थी, जिसने टेलीकॉम फर्म्स के लिए फिस्क्ड लाइसेंस फीस को हटा कर रेवेन्यू-शेयर‍िंग की व्यवस्था लागू की थी… इस दौरान भारत संचार निगम लिमिटेड का गठन भी किया गया…… इसके जरिये नीति निर्धारण और सेवाओं के प्रावधान को अलग-अलग किया गया…..इसके साथ ही टेलीकॉम ड‍िस्प्यूट सेटलमेंट अपीलेट ट्रिब्यूनल का गठन भी वाजपेयी सरकार ने किया. इस ट्रिब्यूनल ने इस क्षेत्र की शिकायतों का निवारण समय रहते करने की व्यवस्था तैयार की थी…..

3- निजीकरण

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके कार्यकाल के दौरान सरकार का दखल कम करने के लिए निजीकरण को अहमियत दी….. . इसी का परिणाम था कि उनकी सरकार ने एक अलग विन‍िवेश मंत्रालय का गठन किया……. मौजदूा वित्त मंत्री अरुण जेटली पहले विन‍िवेश मंत्री बनाए गए थे…… इस दौरान भारत एल्युमीन‍ियम कंपनी (BALCO), हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और वीएसएनएल फेमस विन‍िवेश थे….. ये सब वाजपेयी जी के निजीकरण को बढ़ावा देने का ही परिणाम था… .

4-सर्व शिक्षा अभियान:

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल का एक और सफल अभियान था….. सर्व श‍िक्षा अभ‍ियान…… इसके जरिये वाजपेयी सरकार ने 6 से 14 साल की उम्र के बच्चों को मुफ्त प्राथमिक श‍िक्षा देने का प्रावधान किया था….. इसी योजना का परिणाम था कि 2001 में लॉन्च हुई इस योजना के महज 4 साल के भीतर स्कूलों से दूर रहने वाले बच्चों की संख्या में 60 फीसदी की कमी आई…..

5- राजकोषीय घाटा कम करने का लक्ष्य-

प्रधानमंत्री रहने के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी वित्तीय उत्तरदाय‍ित्व अध‍िनियम लाए थे…. इस अध‍िनियम के जरिये देश का राजकोषीय घाटा कम करने का लक्ष्य रखा गया. वाजपेयी सरकार के इस कदम ने पब्ल‍िक सेक्टर सेविंग्स को बढ़ावा दिया……. इसके चलते 2000 में जो सेविंग्स जीडीपी का 0.8 फीसदी थी. वह 2005 में बढ़ कर 2.3 फीसदी हो गई थी……. और देश को आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ा…..

तो ऐसे थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जिन्होंने देश का प्रधानमंत्री रहते वैसे तो कई कार्य किए लेकिन उन्हें सड़कों के माध्यम से जोड़नेे, संचार सुविधाओं को बढ़ावा देने वाला, सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा देने वाले, सरकारीकरण का एकाधिकार खत्म कर निजीकरण को बढ़ावा देने वाले, राजीव गांधी की संचार क्रांति को पंख लगाने वाले , राजकोषीय़ घाटा कम करने का लक्ष्य़ तय करने वाले प्रधानमंत्री के तौर पर सदैव याद किए जाते रहेंगें। अटल जी को परमाणु परीक्षण कर दुनियां में अपनी ताकत का अहसास कराने वाले प्रधानमंत्री के तौर पर जाना जाएगा……

भारतीय राजनीति के दो दिग्गज पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गहरे मित्र थे

भारतीय राजनीति के दो दिग्गज पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गहरे मित्र थे। दोनों ने मिलकर भाजपा को एक मजबूत राजनीतिक दल के रूप में स्थापित किया और अपने व्यक्तित्व से अलग पहचान बनाई। दोनों की गहरी दोस्ती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शेखावत की बेटी का कन्यादान वाजपेयी ने किया था।

अटल का मिलनसार व्यक्तित्व उन्हें औरों से अलग करता नजर आता है । अटल और शेखावत के बीच राजनीति से अलग दोस्ती का अध्याय राजस्थान से ही शुरू हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी का राजस्थान से सियासी ही नहीं, बल्कि भावनाओं का रिश्ता भी था। पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, वाजपेयी और शेखावत के बीच दोस्ती की शुरुआत राजस्थान हुई।

अटल आडवाणी भाजपा को राजस्थान में खडा करना चाहते थे और शेखावत प्रदेश में भाजपा का चेहरा बनकर उभरे। शेखावत ने प्रदेश में भाजपा को खडा किया। शेखावत की बेटी मूमल का 1982 में सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नम्बर 51 में विवाह हुआ था। शेखावत विपक्ष के नेता थे। बंगला नम्बर 51 शेखावत को अलॉट किया गया था। वर्तमान में इस बंगले पर भाजपा का प्रदेश मुख्यालय है। शेखावत ने वाजपेयी को बेटी के विवाह का निमंत्रण भेजा था। वाजपेयी विवाह मेे आए। वाजपेयी दो दिन तक जयपुर में ठहरे थे। शेखावत और वाजेपेयी गले मिले। वाजपेयी ने विवाह की सभी रस्म  में भाग लिया और शेखावत की बेटी का कन्यादान किया था। विवाह समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिव चरण माथुर ने वाजपेयी का वेलकम किया था।

वाजपेयी के राजस्थान से भाजपा के कई नेताओं के गहरे संबंध रहे हैं। वह अक्सर पार्टी की बैठकों में जयपुर आते रहे कई बार भाजपा के वरिष्ठ नेता रामदास अग्रवाल के परकोटे स्थित आवास पर रुके। शेखावत जब तक जीवित रहे, तब अपने दिल्ली प्रवास के दौरान रोजाना अटल बिहारी वाजपेयी के आवास जाते थे और उनकी कुशलक्षेम पूछते थे। इतना ही नहीं राजस्थान के आर एस एस से जुड़े व्यक्तियों से भी उनका लगाव हमेशा रहा। आर एस एस के क्षेत्रीय मुखपत्र पाथेय कण के सम्पादक कन्हैया लाल चतुर्वेदी के परिवार से भी वाजपेयी के गहरे रिश्ते रहे।

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