वाह, राजस्थान उर्दू अकादमी क्या बेमिसाल काम कर रही है ? जरा जानें तो सही

Sameer Ur Rehman
4 Min Read

rajasthan urdu academy

जयपुर।(लियाक़त अली भट्टी) – अफसरशाही किस तरह उर्दू का भट्टा बिठाने को तुली है इसका ताजा उदहारण राजस्थान उर्दू अकादमी है. राजस्थान में उर्दू और उर्दू अदीबों को फरोग देने के लिए बरसों पहले उर्दू अकादमी का गठन किय गया था लेकिन अकादमी बिलकुल इसके उलट काम कर रही है. अकादमी सचिव अपनी निजी छवि निखारने में लगे हुए हैं और इसके लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं. पिछले दिनों जोधपुर में मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी के सहयोग से अकादमी ने कुल हिन्द मुशायरा किया जिसमें शहर के एकाध बड़े शायर को छोड़ बाकी नामवर और दीगर शायरों को जान बूझकर नज़र अंदाज किया गया.

अकादमी सचिव ने जब से काम संभाला है तब से ही वे मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं और अकादमी की छवि बिगाड़ने में लगे हैं. वे देश भर में अपने रसूख को और पुख्ता बना रहे हैं ताकि उसका निजी तौर पर फायदा उठा सकें.अकादमी कार्यक्रमों में वे राजस्थान की उर्दू हस्तियों को लगातार नजर अंदाज करते जा रहे हैं.उर्दू अकादमी ना सिर्फ जोधपुर बल्कि बीकानेर, उदयपुर, टोंक और अजमेर जैसे उर्दू के मर्कजों के शायरों और अदीबों को अपने पास फटकने नहीं देती. वहां के अदीब इसकी दबी जबान से मुखालफत भी कर रहे हैं. अकादमी को नए लोगों को सामने लाने के लिए जो काम करना चाहिए उसे तो बिलकुल मुल्तवी सा कर दिया गया है. अकादमी को राजस्थान के पुराने उर्दू अदीबों की खिदमात को सामने लाने के लिए भी काम करना चाहिए, उस तरफ तो कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है. दर असल अकादमी के पास उसका अपना कोई नजरिया ही नहीं है.

राजस्थान के उर्दू नावेल निगार नज़र अंदाज़
पिछले दिनों राजधानी जयपुर में उर्दू नावेल पर एक सेमिनार किया गया जिसमें अकादमी सचिव ने अपने रसूखदार लोगों को बुलाया जबकि राजस्थान से जुड़े उर्दू के मशहूर और माअरूफ नावेल निगार हबीब कैफ़ी और सरवत खान को जन बूझकर नज़र अंदाज किया गया. इन दो नामवर नावेलनिगारों को शामिल किये बिना भला नावेल की बात ही कैसे की जा सकती है लेकिन अकादमी सचिव ने यह करिश्मा कर दिखाया.

अकादमी कार्यक्रमों के प्रचार के लिए सचिव इस हद तक उतर आए हैं कि कमर्शियल या बिजनेस संस्थानों की तरह अकादमी की ओर से मीडिया को दिये जाने वाले उपहारों की तरह करेंसी नोटों के लिफाफों से नवाज़ा जा रहा है..आश्चर्य तो यह है कि इनका फायदा उठाने में जयपुर के बड़े मीडिया प्रतिष्ठानों के संवाददाता भी शामिल हैं.इस तरह मीडिया मैनेजमेंट के नाम पर मीडिया को भ्रष्ट किया जा रहा है. दूसरी ओर अकादमी की नियमित पत्रिका के लेखकों को घाटे का बजट बताकर उनके लेखन का पारिश्रमिक तक नहीं दिया जा रहा है. देश की यह शायद पहली सरकार से वित्त पोषित अकादमी है जो लेखकों का पारिश्रमिक हज़म करती जा रही है.अकादमी सचिव से यह पूछा जाना चाहिए कि इसके बरक्श वह किस फंड से और किस हैसियत से पत्रकारों को खैरात बाँट रही है बल्कि यह राशि अकादमी सचिव के वेतन से वसूल की जानी चाहिए ताकि आगे वे ऐसी हरकत नहीं कर सकें. अकादमी ने इस अल्प अवधि में क्या-क्या घोटाले किये हैं इसकी तफतीस की जा रही है और सामने आते ही उसका खुलासा किया जायेगा.

Share This Article
Follow:
Editor - Dainik Reporters http://www.dainikreporters.com/
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *